RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -19-Nov-2023


जिस्म जलता रहा आग बूझती रही 
इश्क का खेल कुछ ऐसा चलता रहा
जिंदगी का हर लम्हा बर्बादी के 
मोड़ को पुकारता रहा 
ऐ बेवफाई के रंग में लिपटे मेरे हमसफ़र
तेरा नशा था या हमारा पागल पन
किसकी आग में हम जलते रहे। 
          राखी सरोज 

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